शिव का चौथा ज्योतिर्लिंग है ओंकारेश्वर, यहां रोज रात को आते हैं शिव-पार्वती

0

न्यूज डेस्कः  सावन का महीना चल रहा है इस दौरान भक्त बड़ी संख्या में भगवान शिव के दर्शन के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं. सावन में शिव की पूजा का काफी महत्व है. सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए खास माना जाता है. सावन में बड़ी संख्या में भक्त शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इन्हीं ज्योतिर्लिंग में भगवान भोलेनाथ का चौथा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर भी शामिल है. यहां भगवान महादेव ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं. मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही मनुष्य की सभी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है.

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से 80 किमी दूर है. यह नर्मदा नदी के किनारे बसी एक ऊंची पहाड़ी पर मौजूद है. यहां शिव का ज्योतिर्लिंग ऊं के आकार वाली पहाड़ी पर मौजूद है. इसी वजह से इनको ओंकारेश्वर कहा जाता है. शिव पुराण में इसको परमेश्वर लिंग भी कहा गया है. क्यों खास है  

क्या है ओंकारेश्वर मंदिर का रहस्य

धार्मिंक मान्यता के मुताबिक भगवान शिव माता पार्वती के साथ ओंकारेश्वर में रात में सोने के लिए आते हैं. मान्यता यह भी है कि रात के समय शिव आदिशक्ति माता पार्वती के साथ हर रोज यहां चौपड़ खेलते हैं. इसीलिए शाम की आरती के बाद यहां चौपड़ बिछाकर मंदिर के गर्भग्रह को बंद कर दिया जाता है. अगले दिन सुबह जब गर्भग्रह खोला जाता है तो यह चौपड़ बिखरा हुआ मिलता है.

कहा जाता है कि जो भी भक्त शिव के ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मनोकामना भी पूर्ण होती है. यही वजह है कि दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन के बाद नर्मदा या फिर किसी अन्य नदी का जल चढ़ाना जरूरी होता है,तभी दर्शन पूर्ण माने जाते हैं.  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *