क्या प्रफुल्ल पटेल ही हैं एनसीपी के असली गद्दार कौन, पार्टी तोड़ने में भुजबल का क्या है रोल?

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न्यूज डेस्कः  एनसीपी में अजित पवार की बगावत पर संजय राउत का एक बयान आया था. उन्होंने कहा था कि अजित पवार की सोच इतनी ऊंचाई तक नहीं जा सकती कि वे पार्टी तोड़ सकें, जरूर दिल्ली से सारा तंत्र घुमाया गया है. संजय राउत यह भूल गए कि अजित पवार के पास एक प्रफुल्ल पटेल हैं जो कभी शरद पवार की परछाईं कहे जाते थे. यह बात अजित पवार ने भी कभी नहीं छुपाई कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में कोई रुचि नहीं, लेकिन एनसीपी का राष्ट्रीय दल का दर्जा छीना जाना उन्हें अच्छा नहीं लगा. एक और नाम है छगन भुजबल.

छगन भुजबल एनसीपी का ओबीसी चेहरा हैं. किसी जमाने में सब्जी के ठेले लगाते थे आज करीब हजार करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं. इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि जब एनसीपी में जयंत पाटील के पांच साल से ज्यादा प्रदेश अध्यक्ष बने रहने पर सवाल उठाया गया और अजित पवार ने संगठन में काम करने की इच्छा जताते हुए प्रदेश अध्यक्ष पर नजरें दौड़ाईं, तब छगन भुजबल ने कहा कि महाराष्ट्र में आज सभी बड़ी पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी हैं. इसलिए एनसीपी का भी प्रदेश अध्यक्ष कोई ओबीसी वर्ग का व्यक्ति ही हो, भले ही उन्हें नहीं तो जितेंद्र आव्हाड को बना दो. ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि उनसे काफी जूनियर जितेंद्र आव्हाड को दिल्ली की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में ऊंचा पद और कद से नवाजा गया.

जहां अजित पवार का मन फटा था, वहीं छगन भुजबल का भी दिमाग हटा था

यह वही मीटिंग थी जिसमें सुप्रिया सुले कार्याध्यक्ष बनीं थीं. बात अजित पवार को भी लगी थी, छगन भुजबल को भी लगी थी. महाराष्ट्र में 54 फीसदी आबादी ओबीसी समुदाय की है.लेकिन भुजबल के नाम पर कोई विचार नहीं हुआ. ऐसे एनसीपी का सबसे तगड़ा ओबीसी नेता अब अजित पवार के साथ है.

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