लैंडर ‘विक्रम’ सफलतापूर्वक ‘डीबूस्ट’ हुआ, जानीय क्या है तकनीक

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न्यूज डेस्कः इसरो (ISRO) का चंद्रयान 3 अब सपना पूरा करने की राह पर है. चंद्रमा पर उतरने से पहले का आखिरी चरण 18 अगस्त, शुक्रवार को शुरू हुआ। इसरो सूत्रों के मुताबिक, चंद्रयान 3 की ‘विक्रम’ लैंडर डिसेलेरेशन रणनीति सफल रही है। और इस तकनीक को ‘डीबूस्टिंग’ कहा जाता है। इसी तकनीक के जरिए विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर उतरने की प्रक्रिया शुरू की थी. इस बार चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के इंतजार में देशवासी दिन गिन रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक, ‘डिबस्टिंग’ तकनीक के जरिए लैंडर की स्पीड कम की जाती है। चंद्रमा की निकटतम कक्षा में पहुंचने के लिए यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसरो सूत्रों के मुताबिक, इसरो वैज्ञानिकों ने शुक्रवार शाम 4 बजे तक विक्रम लैंडर को सफलतापूर्वक डी-बस्ट कर लिया है। यह भी पता चला है कि दूसरी डिबस्टिंग रविवार 20 अगस्त को रात 8 बजे की जाएगी। पहले डीबूस्टिंग ऑपरेशन के बाद लैंडर विक्रम वर्तमान में 113 किमी x157 किमी की कक्षा में है।

हालांकि, शुक्रवार को हुई इस प्रक्रिया के बाद लैंडर चांद के थोड़ा करीब पहुंच गया है. यह पैंतरेबाज़ी लैंडर को चंद्रमा की सतह पर अंतिम लैंडिंग के लिए तैयार करती है। धीरे-धीरे अपनी गति कम करते हुए लैंडर को चंद्रमा की कक्षा से 30 किलोमीटर की दूरी पर लाया जाएगा। और उसके बाद लैंडर ‘विक्रम’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.

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